3 साल की ट्रेडिंग के बाद असली सीख क्या मिली?
जानिए एक रियल ट्रैडर की अनकही कहानी
जब मैंने ट्रेडिंग शुरू की, तो एक के बाद एक indicators बदलता रहा MACD, RSI, Bollinger Bands, Moving Averages… जो भी YouTube या Facebook पर दिखा, वही सीखने लग जाता। हर बार लगता था कि अब समझ आ गया, लेकिन असल में और ज्यादा confused हो जाता था। Entry-Exit की clarity नहीं थी, सिर्फ trial-and-error चल रहा था।
लेकिन एक चीज़ मैंने अलग की मैंने शुरुआत में ज्यादा तर paper trading पर ध्यान दिया। Real पैसे लगाने से पहले concepts को paper पर बार-बार test किया। और शायद यही वजह थी कि तीन साल की जर्नी में मैंने सिर्फ ₹14,000 का नुकसान किया, वो भी 116 real trades के बाद। किसी और के लिए ये नुकसान हो सकता है, लेकिन मेरे लिए ये मेरी सबसे बड़ी सीख थी।
फेज 1: बिना नक्शे के रास्ता ढूंढ रहा था
शुरुआत के दिनों में मैं जैसे अंधेरे में रास्ता ढूंढ रहा था। MACD, Bollinger Band, Moving Averages और MA की अलग-अलग settings तक सब कुछ आज़मा लिया। कोई कुछ नया बताता, तो वही try करने लग जाता। दिन में वीडियो देखता, रात को चार्ट पर उसे apply करता, लेकिन entry और exit कभी साफ़ नहीं हो पाए। एक trade में लगता सही कर रहा हूँ, तो दूसरी में फिर confusion। Indicators बदलते रहे, पर दिमाग में clarity कभी नहीं आई। लेकिन एक चीज़ में टिके रहना शुरू से मेरी आदत थी मुझे किसी shortcut से पैसे नहीं कमाने थे। मेरा मकसद था खुद को समझना, अपनी thinking को sharp करना। मैं charts के पीछे नहीं, खुद की growth के पीछे भाग रहा था। शायद इसी mindset ने मुझे शुरुआत में भटकने के बावजूद टिके रहने की ताकत दी।
फेज 2: थोड़ा कॉन्फिडेंस आया, और पहली बार Loss face किया
करीब एक साल हो चुका था ट्रेडिंग सीखते-सीखते, और अब थोड़ा-बहुत confidence आने लगा था। कुछ चीज़ें समझ में भी आने लगी थीं, लेकिन पूरी clarity अब भी नहीं थी। उस एक साल में मैंने 116 real trades की थीं और कुल ₹14,000 का नुकसान हुआ था। जब मैं अपने पहले mentor से मिला, तो दिल में थोड़ी घबराहट थी। लगा शायद मुझे सुननी पड़ेगी, क्योंकि एक साल दिया और नतीजा फिर भी loss! लेकिन जब मैंने अपनी पूरी journey उनके सामने रखी, तो उन्होंने उल्टा मुझे शाबाशी दी। उन्होंने कहा, “116 trades में सिर्फ 14,000 का नुकसान? भाई, तेरा risk management तो बहुत अच्छा है। लोग इस फेज़ में zero की जगह एक और zero जोड़ देते हैं!” उस दिन पहली बार लगा कि हाँ, कुछ तो सही किया है अब तक। नुकसान तो हुआ था, लेकिन वो डरा नहीं रहा था वो सिखा रहा था।
फेज 3: Course किया, लेकिन फर्क नहीं पड़ा – क्योंकि system अंदर से नहीं बना था
जैसे-जैसे interest बढ़ रहा था, मैंने सोचा कि एक paid course कर लेता हूँ। शायद वहीं से clarity मिल जाए। Course लिया भी, सीखा भी… लेकिन अंदर कुछ खास change नहीं हुआ। Mindset वहीं का वहीं था, और execution में फिर वही confusion। तब मेरे mentor ने एक बात कही, जो आज तक याद है “मैं तुम्हें सबकुछ सिखा सकता हूँ, लेकिन जब तक हमारा mindset match नहीं करेगा, तब तक कुछ भी काम नहीं करेगा।” ये बात सीधे दिल में लगी।
फिर उन्होंने मुझसे सीधा कहा “जो चीज़ तुम्हें सबसे ज्यादा बोरिंग लग रही है, जो पसंद नहीं आ रही बस उसी को पकड़ लो। उसी पर टिक जाओ, और रोज़ practice करो। वही तुम्हारा असली teacher बनेगा।” पहले तो बात समझ नहीं आई, लेकिन जैसे-जैसे उस पर टिकना शुरू किया, खुद की learning की depth समझ आने लगी। उस दिन एहसास हुआ कि सिर्फ सीखने से कुछ नहीं होता अंदर से system बनाना पड़ता है, और वो system patience, practice और टिके रहने से बनता है।
फेज 4: Strategy बदलते-बदलते RSI पर रुका, और तब जाकर breakthrough मिला
करीब 1.6 साल बीत चुके थे, लेकिन मन अभी भी स्थिर नहीं था। हर हफ्ते कोई नई strategy, कोई नया तरीका कभी breakout देखता, कभी trendline बनाता, तो कभी 2-3 indicators को मिलाकर कुछ नया निकालने की कोशिश करता। लेकिन सच कहूं तो, कहीं टिक ही नहीं पाया। हर बार लगता था कि शायद अगली strategy ही सही निकलेगी।
इसी बीच एक दिन RSI पर ध्यान गया। पहले तो लगा ये भी बस एक और indicator ही है, लेकिन इस बार मैंने फैसला किया कि भागने के बजाय रुककर इसे समझूंगा। पूरे एक महीने तक RSI को लगातार observe किया, हर movement को महसूस किया chart के साथ-साथ खुद को भी समझा। तब जाकर पहली बार ऐसा लगा कि मैं किसी चीज़ को गहराई से पकड़ पाया हूँ। उस वक्त दिल से एक बात निकली
“भागकर कुछ नहीं मिलेगा… जो चाहिए, वो एक जगह टिककर ही मिलेगा।”
यहीं से मेरी असली breakthrough journey शुरू हुई।
फेज 5: Plan – Strategy – Risk Management को अलग-अलग समझा, फिर एक system बनाया
RSI को समझने के बाद मैंने सोचा कि अब सबकुछ एक साथ पकड़ने की बजाय, एक-एक चीज़ पर अलग-अलग फोकस किया जाए। सबसे पहले strategy पर काम किया क्या देखना है, कैसे entry लेनी है। फिर risk management सीखा कितना risk लेना है, SL कहां लगाना है। और आख़िर में execution पर ध्यान दिया कैसे discipline से trade को चलाना है, ना डरना है ना लालच में आना है।
धीरे-धीरे इन तीनों चीज़ों को जोड़कर मैंने अपना खुद का एक system तैयार किया। अब मेरी हर entry प्लान के साथ होती है, SL हमेशा logical होता है और exit भी discipline से होता है। सबसे बड़ी बात ये है कि अब मेरे अंदर वो confidence है जो पहले कभी नहीं था क्योंकि अब मुझे दूसरों की strategies पर नहीं, अपने सिस्टम पर भरोसा है।
अब क्या फर्क आया है?
- अब मैं हर shiny indicator के पीछे नहीं भागता।
- YouTube पर कोई नई strategy दिख जाए तो भी मेरा मन नहीं डगमगाता।
- क्योंकि अब मैंने खुद को समझ लिया है और अपनी एक ट्रेडिंग भाषा विकसित कर ली है।
- अब मुझे किसी guru की daily वीडियो की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- अब मैं खुद अपने चार्ट से बात कर सकता हूँ।
- मैं जानता हूँ कि मुझे क्या देखना है, कैसे सोचना है, और कब रुकना है।
Action Box: अगर आप भी मेरी तरह भटक रहे हैं, तो आज से ये करना शुरू करें:
बार-बार strategies बदलना बंद करें
एक simple strategy चुनें और कम से कम 2 महीने तक उसी पर टिके रहें
Entry, SL और Exit – हर चीज़ का एक written plan बनाएं
Real trade से पहले उसे paper trade और backtest से टेस्ट करें
और सबसे जरूरी बात “Skill build करो, पैसे खुद पीछे आएंगे”
तो RSI और price action को सही तरीके से समझने के लिए YuktiHub.com पर जाकर मेरी सीखें ज़रूर पढ़ें। अगर आप भी मेरी तरह एक solid सिस्टम बनाना चाहते हैं,